चूंकि जानवर मचान पर बैठे लोगों से अनजान होते हैं, इसलिए वे अपने मूल स्वभाव में रहते हैं। यही उन्हें ऐसे देखने का सबसे बड़ा लुत्फ है, जो बार-बार जंगल में मचान पर खींच लाता है। एक खास बात और। यह सेंसस हमेशा पूर्णिमा की रात को ही होता है क्योंकि जंगल में चांद की रोशनी का उजाला रहता है और उस रोशनी में जानवरों को देख पाना थोड़ा आसान होता है।